मैंने एक नया द्वार खोजा है ! I have found a new way.

परमात्मा को उतार कर धरती पर लाओ
परमात्मा को उतार कर धरती पर लाओ अगर तुम्हें सुखी होना है, आनंदित होना है, मस्त होना है तो यह करना ही होग। जन्मों-जन्मों बीत गए कल्पनाओं मे।

एक करोड़ मंदिर मस्जिद और बना कर देखो?
हर व्यक्ति धार्मिक होना चाहता है इसीलिए वो मंदिर मस्जिद गिरजे गुरुद्वारे और अपने अपने धर्म स्थलों पर जाता है। लेकिन क्या वो धार्मिक हो पता है ?

तुम अपने ही जैसे के प्रति आकर्षित होते हो।
तुम्हारा दृष्टिकोण क्या है यह इस बात से दिख जाता है कि तुम किसके प्रति आकर्षित होते हो 'तुम किसमे कौन सा गुण देखते हो। तुम लोभी होते हो तो त्याग की...
His Dream The Imagination of The World That is Free From Superstitious.
No Initiation, No Donation, No Disciple, No Restriction, Only Pure Knowledge.
एक नई सोच ! एक नई विचारधारा ! सत्य की राह पर एक नया कदम ! परमात्मा प्राप्ति का एक नया द्वार जो आज खुला है ! एक बुद्ध जो तुम्हे आज ही जीते जी परमात्मा प्राप्ति करवाता है। एक वो धर्म जिसका परमात्मा तुम्हे जीते जी जीवन में मिलता है। एक वो मार्ग जंहा मुक्ति , मोक्ष , निर्वाण , बुद्धतत्व , प्रज्ञा , स्वर्ग यही इसी जीवन में जीते जी ही घटता है।

हम सब दौड़ रहे हैं परंतु क्यों? नहीं पता। और लौटता भी कौन है? और इस दौड़ का केवल रूपए की दौड़ से ही मत मान कर संतोष मत कर लेना। कि तुम तो बच गए क्योकि तुम रुपये की दौड़ में शामिल नहीं हो। लेकिन तुम रूपये की दौड़ में न सही अन्य दौड़ में तो शामिल हो।
तुम्हारी जो स्वर्ग की दौड़ है, बैकुंठ की दौड़ है, सिद्धाश्रम की दौड़ है, गोलोक की दौड़ है वो सारी की सारी ही चाह की ही दौड़ है। उसमे कुछ भी अंतर नहीं है।
परमात्मनः
जीवन कोई स्वास लेने और छोड़ने का नाम नहीं है जीवन तो एक विराट उत्सव है अगर तुम इसे जीते जी ही पहचान गए तो पूरा जीवन ही उत्सव बन जायेगा और तुम्ही परमात्मा स्वरुप हो जाओगे और अगर जीवन को नहीं पहचाना तो फिर ये जन्म भी पहले की तरह मूर्खता में व्यतीत हो जायेगा और तुम फिर दुबारा पहले की तरह मूर्खताएँ ही करते करते मर जाओगे और इसी सोच में भरमाये हुए मरोगे कि हम इस जीवन में ऐसे ऐसे कृत्य करेंगे कि परमात्मा हमें दुबारा जन्म ही ना दे पाए। यानी ये पूरा जीवन ही दुःख बन जाएगा और 80 वर्ष दुःख के घर में रह कर तुम कौन से सुख के घर में जन्म लोगे ये तो तुम भी अच्छी प्रकार जानते हो।
परमात्मनः तुम्हे तुम्हारा जीवन दिखाते है और तुम्हारे इसी जीवन को स्वर्ग बनाते है।
तुम ध्यान से देखना जब एक बच्चा पैदा होता है तो तुम सभी उसे अपने अपने तथाकथित धर्म के अनुसार धार्मिक चिन्हो से अवगत कराना शुरू कर देते हो। हिन्दू परिवार अपने बच्चे को तिलक लगाता है कंठी जनेऊ पहनता है, मंदिर की मूर्तियों से अवगत करवाता है, मुस्लिम परिवार बच्चे को मस्जिद ले जाता है धार्मिक रूप से बनाई गई मान्यता अनुसार खतना करवाते है, उसे नमाज पड़ना सिखाते है, सिख केश रखवाते है गुरूद्वारे ले जाते है, ईसाई चर्च ले जाते है, क्रॉस धारण करवाते है।

परमात्मनः
सत्य प्राप्ति का एक नया द्वार !

यंहा अनाड़ी ही धर्म ध्वजा सँभालने का दावा करते है।
यंहा अनाड़ी ही धर्म ध्वजा सँभालने का दावा करते है। इससे ज्यादा क्या नीचे गिरोगे तुम जंहा तुम्हे जागा हुआ मनुष्य पागल मालूम होता पड़े और धर्मो की खोल में छिपे हुए मदमस्त धार्मिक मालूम पड़े। जितने भी उसके दीवाने हुए उस अल्ल्हा की मोह्हबत में पागल हुए उन्हें संसार भर में पागल की दृष्टि से देखा जाता है और जो ऊँचे ऊँचे धर्म सिंघासनो पर बैठ कर तुम्हे गुमराह करते है उन्हे धर्म गुरु की दृष्टि से देखा जाता है इससे ज्यादा क्या नीचे गिरोगे तुम।

बैसाखी थोड़े ही चलती है लंगड़े को?
बैसाखी थोड़े ही चलती है लंगड़े को? तुम सोचते हो की कि बैसाखी लंगड़े को चलाती है भूल में हो तुम। लंगड़ा बैसाखी को थामता है इसलिए ही चल पाता है। आत्मा और परमात्मा में कुछ भी तो भेद नहीं है दोनों एक ही है तुमने अपने कमरे के झरोखे से आकाश को देखा तो वो आत्मा और तुमने बाहर आकर आकाश को देखा तो वो परमात्मा। दोनों में क्या भेद है? नहीं ! आकाश में भेद नहीं है तुम्हारे देखने में भेद है। तुम्हे आकाश न दिखाई दे तो यह तो नहीं कहा जा सकता कि आकाश नहीं है। उसी प्रकार अगर तुम्हे परमात्मा न दिखाई दे

मुक्ति क्या है बंधन क्या है?
मुक्ति क्या है बंधन क्या है? तुम जिस मुक्ति की बात करते हो उसे खोजने से पहले ये देखो की बंधन क्या है? मुक्ति का तात्पर्य क्या है? मुक्ति यानि स्वतंत्रता, यानि बंधन मुक्त। हर प्रकार के बंधन को अस्वीकार करना, ये ही मुक्ति है इस प्रकार तुम्हारा तथाकथित धर्म भी एक बंधन ही है। किसी ने हिंदुत्व की किसी ने मुस्लिम की, किसी ने सिख की किसी ने ईसाई के नाम की, किसी ने किसी डेरे की किसी ने किसी मठ की बेड़िया बंधी हुई है। तुम बंधन में लोहे की हथकड़ी पहनो या सोने की, बंधन तो बंधन ही है।
परमात्मनः
will teach you how to get Enlightened.

परमात्मनः
जीवन को इस प्रकार जियो कि जीवन एक उत्सव बन जाये और देह की मृत्यु के समय परमात्मा से कह सको ” इतना सुन्दर जीवन देने के लिए तेरा कोटि – कोटि धन्यवाद !
अगर हमें काबिल समझे तो बार – बार हमें ये सुन्दर जीवन देना हम इसे फिर – फिर जीना चाहेंगे।

जिसे तुम धर्म मानते हो वो धर्म नहीं तुम्हारा अहंकार ही है।
"धर्म या अहंकार" "आओ अब तो धर्म कोई ऐसा बनाया जाये। जिसमे इंसान को इंसान बनाया जाये !!" सारी दुनिया धार्मिक है कोई हिन्दू है कोई मुस्लमान है कोई सिख है कोई ईसाई है पूरी दुनिया में मुख्य 300 धर्म है और उपधर्म मिलाकर 3600 छोटे-मोटे नाम के धर्म है और ६८०० भाषाएँ है नाम के धर्म इसलिए कहा क्योंकी यह धर्म नहीं सम्प्रदाय है उस धर्म तक पहुंचने के लिए जिसको सत्य धर्म कहते है !!

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई के घेरो से बाहर निकलो।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई के घेरो से बाहर निकलो। धर्म हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म नहीं घेरे है। धर्म को जानना है तो घेरो से बाहर निकलो। अंडे के भीतर रहने वाला बच्चा अंडे को कभी जान ही नहीं सकता। आज समाज में धर्म के नाम पर हर कोई भेद भाव रखता है और ये भेद भाव तुम्हे सिखाते है तुम्हारे तथाकथित धर्म गुरु। यहाँ तुम्हे एक दृष्टान्त समझाते है की तुम्हे धर्म अलग अलग क्यों दृष्टिगोचर होते है। .

धर्म की शिक्षा क्या स्कूल में पढ़ाई जा सकती है?
जब से तुमने धर्म को स्कूल में पढ़ाना चालू कर दिया है तब से धर्म की खोज ही समाप्त हो गई है कयोकि तुममे से हर कोई जानता है की उसे तो धर्म के बारे में पता है बस यही धारणा तुम्हारी में तोडना चाहता हूँ।जिस दिन तुम ये धारणा छोड़ दोगे उसी दिन तुम्हारे भीतर एक क्रांति का उदय होगा उसी दिन तुम्हारे भीतर सत्य धर्म की खोज आरम्भ होगी। तुम जब तक ये मानते रहोगे की तुम जानते हो
परमात्मनः
ये जीवन सजा नहीं मजा है वो तो तुम्हे जीना नहीं आया। पैदा होते ही नासमझो ने तुम्हार उंगली थाम ली और जीवन को एक गलत दिशा में जीवन विरोधी दिशा में मोड़ दिया।
परमात्मनः समझते है ऐसे जियो की जीवन एक उत्सव बन जाए , जीवन एक ऐसा यादगार समय बन जाए जिसकी ख़ुशी तुम्हे आने वाले जन्मों – जन्मों तक याद रहे और हर जन्म में तुम उस उत्सव को प्राप्त करो।

परमात्मनः
Paramatmana does not make you a disciple.
He says: –