What is Religion: धर्म क्या है? कौन सा धर्म सही है ? परमात्मा से जानें क्या है इसका सच

  • Post author:
  • Post published:July 27, 2022
  • Post category:parmatma
You are currently viewing What is Religion: धर्म क्या है? कौन सा धर्म सही है ? परमात्मा से जानें क्या है इसका सच

एक व्यक्ति पूछता है परमात्मा ये बताओ वास्तव में धर्म कौन सा उत्तम है ? यह धर्म कहते किसे हैं (What is Religion)? कुछ लोग बोलते हैं…खासकर हिंदू कि हिंदू ही धर्म है और बाकी सभी संप्रदाय. मुसलमान बोलता है कि मुसलमान ही दीन है और हिंदू जो है वो काफिर है. सिख कुछ अलग बोलता है और ईसाई कुछ अलग. बौद्ध तो अपने ही बुधत्व की बात करता है. जैन कुछ और…तो धर्म क्या है. हम किसको धर्म मानें और किसको छोड़ दें.

धर्म…मैं जिसे धर्म मानता हूं. स्वंय के लिए…तुम मानों तो तुम्हारी मर्जी…ना मानों तो तुम्हारी मर्जी…मैं जिसे धर्म मानता हूं वो धर्म है मनुष्य के के भीतर की आत्मा का परिवर्तित हो जाना…हां हिंदू होना एक मार्ग हो सकता है. उस धर्म तक पहुंचने का…मुसलमान होना. सिख होना. ईसाई होना. बौद्ध या जैन होना. ये भी एक मार्ग है. उस धर्म तक पहुंचने का. लेकिन मेरी दृष्टी में ना तो हिंदू होना धर्म है और ना मुसलमान होना. धार्मिक होना बहुत ही ऊंचे लेवल की बात है और हिंदू या मुसलमान होना…इसे ऐसे समझो…तुम्हारे यहां बच्चा पैदा होता है. हिंदू के यहां बच्चा पैदा होता है तो उसे कुर्ता-पायजामा पहनाकर…तिलक लगाकर…पितांबर पहनाकर हिंदू बना देते हैं. तो क्या माने लें कि वह बच्चा धार्मिक हो गया. हां…हिंदू हो गया ये बात तो सत्य है. लेकिन क्या वो धार्मिक हुआ?

वेश-भूषा से साफ दिखता है कि बच्चे हिंदू हो गये (What is Religion)

तुम्हारे यहां गुरुकुल में बच्चों को जो शिक्षा दी जाती है. उनको जो वेश-भूषा पहनायी जाती है. उस वेश-भूषा से साफ दिखता है कि वो बच्चे हिंदू हो गये. लेकिन क्या धार्मिक हो गये. और यही कृत्य मुसलमान में भी होता है. मदरसों में बच्चों को जैसे तैयार किया जाता है. वो मुसलमान हो गये ये तो दिखता है. लेकिन क्या वो धार्मिक हुए. क्या उन्हें वास्तव में दीन समझ आ गया. क्या मोहम्मद के ह्दय में जो प्रेम की वीणा बजी थी…क्या वो अनुभव उस मदरसे में पढ़ने वाले बच्चे को हो सकता है? बच्चे की बात तो छोड़ो क्या उस व्यक्ति को हो सकता है जो पांचों वक्त का नमाज पढ़ता है. जो सुबह शाम मंदिरों में घंटे घड़ियाल बजाता है.

दुनिया में 365 तरह के धर्म हैं

जो बुद्ध की भांति पेड़ के नीचे मूर्तिवान होकर बैठ जाता है. जो सिख के रास्ते को अनुसरण करता है. ईसाई, बौद्ध, जैन…नहीं…वो होना तो बहुत ही ऊंचे लेवल की बात है. अलग ही बात है. हिंदू-मुस्लिम होना भिन्न बात है. धर्म के जगत में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन…इस दुनिया में 365 तरह के धर्म हैं (What is Religion). इनमें से कोई धर्म के जगत में जा ही नहीं सकता है. क्योंकि इन्होंने तो उसी मील के पत्थर को छाती से लगा लिया. उसी को पकड़कर बैठ गये. धार्मिक वो व्यक्ति होता है जो जाग जाता है. धर्म का मंदिरों से मस्जिदों से गिरजों या गुरुद्वारों से…बौद्ध विहारों से…जैन मंदिरों से कुछ भी लेना देना नहीं है. जो धार्मिक हो गया…जो संन्यासी हो गया. वो कैसा धर्म वाला…वो कैसा हिंदू…जो फकीर हो गया वो कैसा मुसलमान…फकीर वही जो मुसलमान से भी ऊपर उठ गया हो और संन्यासी वही जो हिंदुत्व से भी ऊपर उठ गया. वो तो सबका हो गया और बस हम उसके हो गये.

हिंदू, मुस्लिम, सिख होना…तुम्हारी राजनीति है

हिंदू, मुस्लिम, सिख होना…मंदिर, मस्जिद, गिरजे गुरुद्वारे, बौद्ध विहार होना…ये तो तुम्हारी राजनीति है. धर्म इनसे बहुत ऊपर की चीज है. हां…मंदिर, मस्जिद, गिरजे गुरुद्वारे बने ही इसलिए थे कि तुम्हें धर्म तक पहुंचा दें. लेकिन क्या ये आज तुम्हें धर्म तक पहुंचा रहे हैं. और इनके साथ-साथ गलती तुम्हारी है कि तुमने इन मील के पत्थरों को छाती से लगा लिया. ये मील के पत्थर हैं ये तो बताते हैं कि इस मार्ग पर चलो तुम…तुम्हें आगे धर्म मिलेगा. सत्य मिलेगा. परमात्मा मिलेगा. चाहे हिंदू का मार्ग अपनाओं…चाहे मुसलमान का…चाहे सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन…दुनिया में 365 से ज्यादा प्रकार के धर्म (What is Religion)हैं और 3600 से ज्यादा उपधर्म हैं. संप्रदाय, विचारधाराएं, कबिले…लेकिन किसी के साथ भी पकड़ना नहीं था. किसी के साथ भी चिपकना नहीं था. एक व्यक्ति किसी छोटी मानसिकता से चिपकता है. एक व्यक्ति किसी बड़ी मानसिकता से…दोनों ही तो एक दूसरे के साथ चिपके हुए हैं. दोनों हीं तो वहीं बन गये जिसके साथ चिपके हुए हैं. आगे कहां बढ़े…तुम्हारी गलती ये हैं कि तुम इन मार्गों को ही धर्म मानकर बैठ गये. समझे ही नहीं तुम…जिस दिन जागोगे…ये मार्ग है मंजिल नहीं….ये सत्य को पाने के मार्ग हैं. वो सत्य जो तुम्हारे भीतर है.

सत्य भी कहीं बाहर से नहीं मिलेगा (What is Religion)

धर्म का संबंध तुम्हारे भीतर से है. तुम्हारी धार्मिक पुस्तकों से नहीं है. ये बातें तुम्हें जरूर कड़वी लग रही होंगी. लगनी ही चाहिए. इन बातों से तुम्हें जरूर सुई चुभती होगी. चुभनी ही चाहिए. ताकि एक दिन तुम आंखें खोलो कि क्या चीज है कि बार बार चुभन हो रही है और आंख खोलकर जाग जाओ. और इन सभी धर्मां से ऊपर उठकर सत्य को पा लो. ये सब सत्य को पाने के मार्ग हैं. लेकिन सत्य भी कहीं बाहर से नहीं मिलेगा. ये मत सोचना कि हिंदू-मुस्लिम छोड़ दोगे…सिख-ईसाई छोड़ दोगे. तो किसी और द्वार पर किसी और गली पर सत्य का मार्ग होगा. नहीं सत्य का मार्ग तुम्हारे भीतर है. तुम्हारे भीतर से होकर वो जाता है. धर्म का संबंध तुमसे है ना कि तुम्हारी धार्मिक पुस्तकों से…मेरी बातें बुरी लगेंगी. अटपटी लगेंगी. एक पागल की. एक सिरफिरे की लगेगी. घाव करतीं होंगी मेरी बातें…जैसे छुरे से घाव होता है. करनी ही चाहिए. और यदि मेरी बात तुम्हारे भीतर घाव ना कर पाये…तो तुम जागोगे ही नहीं…गहन निद्रा में सोये रह जाओगे. तुम्हें जगाने के लिए मुझे ये तो करना ही पड़ेगा.

ना हिंदू होना धर्म है और ना मुस्लिम होना

जगाने के लिए जिस भी विधि का उपयोग समझ में आये, उससे जगा देना चाहिए. एक बार व्यक्ति जाग जाए तो निद्रा टूट जाती है. वरना अभी तो नहीं…हमने शुरू किया था धर्म से… हमने आरंभ किया था हिंदू-मुस्लिम से…ना हिंदू होना धर्म (What is Religion)है और ना मुस्लिम होना. ना सिख होना. ना ईसाई होना. ना बौद्ध होना और ना जैन होना. तुम्हारा जाग जाना ही धार्मिक होना है. धर्म घटना है…तम्हारी आंख खुल जाना…धर्म घटना है. तुम्हारा जागरण हो जाना धर्म घटना है.

आज इतना ही…शेष किसी और दिन…चारों ओर फैले परमात्मा को मेरा नमन…तुम सभी जागो…जागते रहो…